शनिवार, 14 मार्च 2015



श्री दरियाव जी की स्तुति

सुर-सुरतान दरियावान, मुश्किल को आसानभूखे को भोजन, प्यासे को पानी

घर-घर कल्याण, घर-घर कल्याण
आवादान-आवादान
राजा राज करो, प्रजा चैन करो
घाटी-वाटी सहाय करो, प्राणी मात्र का भला करो
जाती का उद्धार करो, मनोकामना पूर्ण करो
सभी गुनाह माफ करो
जय दरियाव, जय दरियाव, जय दरियाव !


श्री दरियाव जी की आरती

ओम जय दरियाव देवा, हो स्वामी जय जल निधि देवा, हो स्वामी जयति वरुण देवा !
आदि पुरुष अविनाषिआदि पुरुष अविनाषि, सुखदायक सेवा !!
ओम जय !!१!!
सूरज विष्णु सदा शिव सबके तुम दाता, हो स्वामी सबके तुम दाता !
तुम अमॄत शशि आलयतुम अमॄत शशि आलय, तुम लक्ष्मी ताता !!
ओम जय !!२!!
हरिश्चन्द्र राजा को रोग मुक्त कीन्हा, हो स्वामी रोग मुक्त कीना।
ऋषि ऋचीक हित इच्छितऋषि ऋचीक हित इच्छित, दस शत हय दीना
ओम जय !!३!!
तुम वरुणालय स्वामीकरुणालय नामीहो स्वामी करुणालय नामी !
निज पर सेतु बंधाई, निज पर सेतु बंधाई, रघुपति हित कामी !!
ओम जय !!४!!
अरोड नॄपति-कन्या यवनप भय भीता, हो स्वामी यवनप भय भीता!
शील-सुरक्षण तुम मेंशील सुरक्षण तुम में, प्रविशी गुण गीता !!
ओम जय !!५!!
पुनि अरोड - नृप को तुम निज दर्शन दीनो, हो स्वमी निज दर्शन दीनो !
भादव बद सातम कवि,भादव बद सातम कवि, कृपा भाव कीनो !!
ओम जय !!६!!
श्री दरियाव जी की आरती जो कोई जन गावे, हो ज्यांरा मन शुद्ध होय जावे !
हो ज्यांरा पाप परा जावेहो ज्यांरा दुख दारिद्र जावे, हो ज्यांरा सुख सम्पति आवे !
हो ज्यांरा घर नव निधि होवे, हो वे तो भक्ति मुक्ति पावे !
श्री दरियाव दया सूंश्री दरियाव कृपा सूं, सुख सम्पति पावे !!
ओम जय !!७!!
जय दरियाव देवा, हो स्वामी जय जल निधि देवा, हो स्वामी जयति वरुण देवा !
आदि पुरुष अविनाषिआदि पुरुष अविनाषि, सुखदायक सेवा !!
ओम जय !!८!!

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